मंत्री वी सेंथिल बालाजी को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत, ED को मिली पूछताछ की मंजूरी

जेल में बंद तमिलनाडु सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने बालाजी की गिरफ्तारी को चुनौती देने संबंधी याचिकाएं सोमवार (7 अगस्त) को खारिज कर दीं. पीटीआई के अनुसार, सेंथिल और उनकी पत्नी मेगाला ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हिरासत में लेने के ईडी के अधिकार को बरकरार रखा गया था.

साथ ही जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने इस मुद्दे को एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया कि रिमांड के शुरुआती 15 दिनों के बाद पुलिस हिरासत की अनुमति नहीं है. बालाजी को ‘नौकरी के बदले नकदी’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 14 जून को गिरफ्तार किया गया था. वे अब भी तमिलनाडु सरकार में मंत्री हैं. हालांकि, उनके पास कोई विभाग नहीं है.

ED को रिमांड की मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट की खंड पीठ ने माना कि मंत्री की पत्नी की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट रिमांड आदेश को चुनौती देने के योग्य नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने 12 अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) रिमांड की अनुमति दे दी.

समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उस समय शीर्ष अदालत ने ईडी द्वारा मांगी गई पुलिस रिमांड के संबंध में कोई अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया था.

सेंथिल के वकील ने रखा था ये तर्क

सुप्रीम कोर्ट में बालाजी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया था कि गिरफ्तारी के 15 दिन बाद किसी आरोपी को पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. सेंथिल बालाजी के वकील ने आशंका जताई थी कि उन्हें कभी भी हिरासत में लिया जा सकता है और जल्द सुनवाई न की गई तो याचिका निरर्थक हो जाएगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल याचिकाओं को सूचीबद्ध किए जाने पर सहमति जताई थी.

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