झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक को बाबूलाल ने बताया ‘काला कानून’, आज राज्यपाल से मिले बीजेपी नेता

रांची। झारखंड विधानसभा से पारित प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने संबंधित विधेयक पर आपत्ति जताते हुए भाजपा ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।

प्रतियोगी युवाओं की आवाज को दबाया जा रहा

ज्ञापन में उल्लेख है कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है। उपर्युक्त विधेयक के द्वारा राज्य सरकार झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जैसी संस्थाओं में प्रतियोगी युवाओं की आवाज को दबाकर मनमाने तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन कराना चाहती है।

यह आशंका तब और प्रबल हो जाती है जब विगत दिनों जेपीएससी द्वारा आयोजित 7वीं से 10वीं तक की सिविल सेवा परीक्षा और जेएसएससी द्वारा आयोजित कनीय अभियंता परीक्षा में घोर धांधली उजागर हुई।

ज्ञातव्य है कि प्रथम दृष्टया राज्य सरकार ने इस अनियमितता को सिरे से नकारा, परंतु युवाओं, अभ्यर्थियों के व्यापक विरोध एवं परीक्षा में हुई धांधली के पर्याप्त सबूत उजागर होने का ही परिणाम हुआ कि राज्य सरकार ने धांधली को स्वीकारा।

यदि यह विरोध नही हुआ होता तो राज्य सरकार अनियमित बहाली करने में सफल हो जाती। विरोध का ही परिणाम हुआ कि जेएसएससी को कनीय अभियंता की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।

भाजपा का मानना है कि राज्य सरकार अपनी इस प्रकार की त्रुटियों, धांधली,विफलताओं और सत्ता पोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज को दबाने केलिए उपर्युक्त विधेयक को पारित कराया है।

विधेयक में अभिव्‍यक्ति की आजादी का उल्‍लंघन किया गया है

विधेयक में अभिव्यक्ति की आजादी का स्पष्टतया उल्लंघन है। उदाहरण के तौर पर विधेयक की कंडिका 11 (2) में राज्य सरकार संबंधित परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों, उत्तर पत्रकों के संबंध में सवाल खड़ा करने वाले परीक्षार्थियों, प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और इंटरनेट मीडिया और जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध बिना किसी प्रारंभिक जांच किए प्राथमिकी दर्ज कराने तथा कंडिका 23 (1) क एवं ख में ऐसे लोगों को बिना किसी वरीय पदाधिकारी के अनुमोदन के गिरफ्तार करने का प्रविधान किया है।

इसके अतिरिक्त ऐसी विसंगतियों पर भविष्य में भी कोई परीक्षार्थी आवाज नही उठा सके, इसके लिए विधेयक के कंडिका 13 (1) में वैसे परीक्षार्थियों को 2 से 10 साल तक के लिए परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित करने का प्रावधान किया है।

बेरोजगार युवाओं के खिलाफ राज्य सरकार की हिटलर शाही

बेरोजगार युवाओं के खिलाफ राज्य सरकार की हिटलर शाही तब और उजागर हो जाती है, जब सरकार ने इस विधेयक की कंडिका 2 (7) में परीक्षा संपन्न कराने वाले कर्मियों, परीक्षकों, पर्यवेक्षक और उनके रिश्तेदारों, मित्रों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज नहीं कराने का प्रविधान किया है।

भाजपा ने सदन में विधेयक का कड़ा विरोध किया

भाजपा के विधायकों ने विधेयक के उपर्युक्त असंवैधानिक प्रावधानों पर सदन में कड़ा विरोध प्रकट किया है, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी हठ धर्मिता और संख्या बल के आधार पर सदन में विधेयक पारित करा लिया है।

भाजपा विधायक दल का प्रतिनिधिमंडल राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते अनुरोध करता है कि राज्य के बेरोजगार युवाओं और जनता के हित में यह विधेयक काला कानून नही बने। इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार को आवश्यक दिशा निर्देश देने की कृपा की जाए।

प्रतिनिधिमंडल में ये रहे शामिल

प्रतिनिधिमंडल में बाबूलाल मरांडी सहित सीपी सिंह, बिरंची नारायण,अनंत ओझा,नवीन जायसवाल,रामचंद्र चंद्रवंशी,रणधीर सिंह,नीरा यादव,जेपी पटेल,शशि भूषण मेहता,ढुल्लू महतो,नारायण दास,कोचे मुंडा,अपर्णा सेन गुप्ता,अमर कुमार बाउरी,राज सिन्हा,मनीष जायसवाल,किशुन कुमार दास,समरी लाल, अमित मंडल,आलोक चौरसिया,पुष्पा देवी शामिल हुए।

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